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दैनिक मूक पत्रिका नई दिल्ली। मानसून शुरू होने के साथ ही बाजार में एक सब्जी दिखने लगती है, जिसे लोग जंगली मानते हैं। रीवा संभाग भी एक जंगली इलाका है, जहां प्रकृति मेहरबान रहती है। मानसून के सीजन में यहां के जंगलों से कई अद्भुत चीजें मिलती हैं, जिनका ग्रामीण पूरे साल इंतजार करते हैं। ऐसी ही एक खास सब्जी है, जिसे स्थानीय लोग जरूर खरीदते हैं। यह सब्जी सेहत के लिए वरदान मानी जाती है और इसे मानसून सीजन की सबसे पावरफुल वेजिटेबल भी कहा जाता है।
मानसून सीजन के साथ ही इस पावरफुल सब्जी का सीजन भी शुरू हो जाता है, जिसे रीवा संभाग के ग्रामीण इलाके में ‘पड़ोरा’ के नाम से जाना जाता है। विभिन्न क्षेत्रों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है, जैसे कंटोला, काकोड़ा और मीठा करेला। भारतीय रसोई में बनने वाली यह सब्जी पोषक तत्वों और प्रोटीन से भरपूर होती है। माना जाता है कि इसमें मीट से भी ज्यादा प्रोटीन होता है, इसलिए इसे मानसून सीजन का पावरफुल वेजिटेबल कहा जाता है।
अब ढूंढने से भी नहीं मिलती ये सब्जी
मानसून के साथ ही पड़ोरा का पौधा तैयार होने लगता है। ग्रामीण जंगलों से इसके फल को ढूंढ कर लाते हैं। इसकी सब्जी घरों में जरूर बनाते हैं। स्वाद में शानदार होने के साथ-साथ पड़ोरा सेहत के लिए भी वरदान है। पहली बारिश के बाद इसका पौधा निकलना शुरू हो जाता है और बेल के रूप में फैल जाता है। जब इसमें फल आ जाते हैं, तो लोग इसे ढूंढ कर लाते हैं और सब्जी बनाकर खाते हैं। साथ ही बाजार में बेचकर कुछ पैसे भी कमा लेते हैं। अब यह प्राकृतिक रूप से मिलने वाला पड़ोरा विलुप्त हो रहा है, क्योंकि लोग कंद ही निकाल कर ले जा रहे हैं। पहले यह आसानी से मिल जाता था, लेकिन अब बहुत कम और ढूंढने से मिलता है।
कैंसर रोधी, सांप का जहर भी मारे?
रीवा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के अधीक्षक डॉ. अक्षय श्रीवास्तव ने बताया, “ऐसा माना जाता है कि यह कैंसर रोधी होता है। मोटापा कम करने और डायबिटीज जैसी बीमारियों के लिए यह रामबाण है। माना जाता है कि इसे खाने से सांप का जहर भी असर नहीं करता है। इसमें प्रोटीन, फोलिक एसिड, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम, आयरन, फास्फोरस और पोटाश कैरोटीन की भरपूर मात्रा पाई जाती है।”
ज्यादा बिकने के कारण गायब!
वैसे तो पड़ोरा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे राज्यों में नेचुरली बहुत ज्यादा पाया जाता था, लेकिन अब यह विलुप्ति की कगार पर है। इसकी पत्ती, कंद और फल सभी का औषधीय महत्व है। जितना इसका संरक्षण नहीं हुआ है, उससे कहीं ज्यादा दोहन हुआ है। यही वजह है कि प्राकृतिक रूप से उगने वाला पड़ोरा अब धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। लेकिन, अब यह ज्यादा बिक रहा है, इसलिए शायद चोरी भी होने लगा है।
शानदार बनती है सब्जी
हाउस वाइफ उर्मिला तिवारी बताती हैं कि “पड़ोरा की सब्जी बहुत ही क्रिस्पी बनती है। इसे अपने स्वाद के मुताबिक विभिन्न तरीकों से बनाया जा सकता है। एकदम कुरकुरी सब्जी बना सकते हैं, जो खाने में भी बहुत शानदार होती है। इसकी सब्जी बहुत ही स्वादिष्ट होती है। आप भरता भी बना सकते हैं या दाल में डालकर उबाल सकते हैं।”
Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं। इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें। K.W.N.S. किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा।

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