BIJAPUR
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दैनिक मूक पत्रिका बीजापुर – नगर पालिका क्षेत्र के वार्ड क्रमांक-12 अंतर्गत नया बस स्टैंड के पीछे (चट्टान पारा) अवैध अतिक्रमण, वनों की कटाई और बिजली चोरी जैसे गंभीर मामलों को लेकर शनिवार को चिकटराज समिति व स्थानीय वार्डवासियों की एक अहम बैठक आयोजित की गई। बैठक में समिति ने अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह के भीतर स्वयं अतिक्रमित भूमि खाली करने की चेतावनी दी है।

समिति ने यह भी निर्णय लिया कि सोमवार को जिला प्रशासन को लिखित आवेदन सौंपकर पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा। यदि प्रशासन द्वारा समय रहते आवश्यक कार्रवाई नहीं की जाती, तो समिति जन आंदोलन व हड़ताल के लिए बाध्य होगी, जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।

पर्यावरण और आस्था स्थलों को हो रहा नुकसान

बैठक में समिति सदस्यों ने बताया कि नया बस स्टैंड के पीछे कुछ लोगों द्वारा वनों की अवैध कटाई कर वहां अतिक्रमण कर मकानों का निर्माण किया जा रहा है। इतना ही नहीं, अवैध रूप से बिजली की चोरी भी की जा रही है, जिससे न केवल पर्यावरण को क्षति पहुंच रही है, बल्कि शासन को करोड़ों रुपये का आर्थिक नुकसान भी हो रहा है।

चिकटराज समिति के देव प्रमुख रामशरण मांझी ने कहा कि ये स्थान आदिवासी आस्था के प्रतीक हैं — माता काली कंकालिन, कोंडराज देव और बाबा चिकटराज पीढ़ा पठानी जैसे पवित्र स्थलों पर अतिक्रमण किया जा रहा है। समिति ने पूर्व में भी कई बार ऐसे प्रयासों के खिलाफ बैठकें कीं और संबंधितों को समझाइश दी गई, लेकिन फिर भी अवैध गतिविधियां जारी हैं।

एक सप्ताह की मोहलत, फिर आंदोलन तय

बैठक में समिति ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि अतिक्रमणकारियों को एक सप्ताह का समय दिया जाएगा, ताकि वे स्वयं भूमि खाली कर लें। इसके बाद यदि कोई कार्रवाई नहीं होती है, तो समिति पेरमा, पुजारी, गायता और अन्य पारंपरिक पदाधिकारियों के नेतृत्व में कलेक्टर कार्यालय सहित संबंधित विभागों में ज्ञापन सौंपेगी और आंदोलन की राह अपनाएगी।

बड़ी संख्या में ग्रामीणों की उपस्थिति

बैठक में चिकटराज समिति के वरिष्ठ सदस्यगण पेरमा, पुजारी, गायता, सियान, सज्जन, सिरा, गुनिया सहित पार्षदगण, स्थानीय ग्रामीण और वार्डवासी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में अवैध अतिक्रमण पर रोक लगाने और दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की मांग की।

समिति ने प्रशासन से अपील की है कि इस विषय को गंभीरता से लेते हुए त्वरित और प्रभावी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए, ताकि भविष्य में ऐसे कृत्यों की पुनरावृत्ति रोकी जा सके और क्षेत्र की धार्मिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक संपदाओं की रक्षा हो सके

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