
MCD चुनाव के ढाई साल में तीन मेयर का कार्यकाल रहा और कई सदन की बैठकें आयोजित की गईं. लेकिन अब, लंबे समय के बाद, शुक्रवार को पहली बार स्टैंडिंग कमिटी की बैठक होने जा रही है, जो कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है. इस बैठक में प्राथमिकता उन प्रस्तावों को दी जाएगी जो न्यायालय से संबंधित हैं. इसके साथ ही, गाजीपुर बुचड़ खाना में इंजेस्टा प्लांट और नरेला में वेस्ट टु एनर्जी प्लांट के निर्माण सहित 100 प्रस्तावों पर चर्चा की जाएगी. इन सभी प्रस्तावों की स्टैंडिंग कमिटी से मंजूरी न मिलने के कारण विकास कार्य लंबे समय से प्रभावित हो रहे हैं.
बैठक से एक दिन पहले, स्थायी समिति की अध्यक्ष सत्या शर्मा ने निगम के विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की. इस बैठक में मेयर राजा इकबाल सिंह भी उपस्थित रहे. बैठक में नई मल्टी लेवल कार पार्किंग के निर्माण और निगम के अस्पतालों तथा अन्य विभागों में कार्यरत कर्मियों के अनुबंध के विस्तार का प्रस्ताव भी चर्चा के लिए रखा जाएगा.
दिल्ली नगर निगम की स्थायी समिति के गठन के बाद अब निगम की 21 महत्वपूर्ण समितियों के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है. इन समितियों के सदस्यों का चुनाव 10 जुलाई को निगम के सदन की बैठक में किया जाएगा.
200 से अधिक परियोजनाएं लंबित
MCD के सूत्रों के अनुसार, 5 करोड़ रुपये या उससे अधिक की सभी परियोजनाओं की मंजूरी का अधिकार स्थायी समिति के पास है. पिछले ढाई वर्षों में ऐसी 200 से अधिक परियोजनाएं लंबित पड़ी हैं. आगामी बैठक में केवल उन परियोजनाओं के प्रस्तावों को मंजूरी के लिए पेश किया जाएगा, जो न्यायालय से संबंधित हैं या अत्यंत आवश्यक मानी जाती हैं. इस प्रस्ताव में 70 भवन योजनाओं की मंजूरी भी शामिल है, जो काफी समय से लंबित हैं.
इन प्रस्तावों पर होगी चर्चा
नरेला में 15 एकड़ क्षेत्र में 604 करोड़ रुपये की लागत से एक वेस्ट टु एनर्जी प्लांट का निर्माण प्रस्तावित है. इस प्लांट के चालू होने पर प्रतिदिन लगभग 3 हजार मीट्रिक टन कचरे का प्रसंस्करण किया जा सकेगा. इसके परिणामस्वरूप भलस्वा लैंडफिल साइट पर मौजूद कचरे का बोझ कम होगा, जिससे पहाड़ की ऊंचाई में भी कमी आएगी. इस परियोजना का निर्माण कार्य 2026 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
NGT ने लगा रखा इतने लाख का जुर्माना
गाजीपुर स्लॉटर हाउस में पशुओं के अपच खाद्य सामग्री और अनाजों के उपचार के लिए 6.8 करोड़ रुपये की लागत से इंजेस्टा ट्रीटमेंट प्लांट स्थापित किया जाना है. हालांकि, इस प्लांट की स्थापना में देरी के कारण NGT ने MCD पर 50 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. MCD की समस्या यह है कि प्लांट की लागत 6.8 करोड़ रुपये है, जबकि MCD कमिश्नर को अधिकतम 5 करोड़ रुपये तक के प्रोजेक्ट की मंजूरी देने का अधिकार है. इससे अधिक लागत वाले प्रोजेक्ट की मंजूरी केवल स्थायी समिति के पास है, इसलिए इस प्रस्ताव को मीटिंग में पेश किया जा सकता है.