दैनिक मूक पत्रिका बस्तर – प्यास से जूझते गांवों की आह अब बस्तर की सड़कों पर गूंज रही है। जल जीवन मिशन की विफलता और पीएचई विभाग की घोर लापरवाही के खिलाफ बस्तर विधायक लखेश्वर बघेल ने बड़ा कदम उठाते हुए अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू कर दी है। बघेल की यह लड़ाई अब व्यक्तिगत विरोध नहीं, बल्कि “जल अधिकार जनआंदोलन” बन चुकी है, जिसमें सैकड़ों ग्रामीण, जनप्रतिनिधि और कांग्रेस कार्यकर्ता कंधे से कंधा मिलाकर शामिल हो रहे हैं।
PHE कार्यालय के सामने जमीं पर बैठा बस्तर, गूंजे नारे – “पानी नहीं तो सरकार नहीं”
विधायक ने पहले ही प्रशासन को हड़ताल की सूचना दी थी, पर कोई स्थान निर्धारित नहीं किया गया। इससे क्षुब्ध होकर बघेल सीधे PHE कार्यालय के सामने समर्थकों संग धरना पर बैठ गए। सुबह 11:50 बजे शुरू हुए इस प्रदर्शन में, बस्तर विधानसभा क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों, सरपंचों, उपसरपंचों, जनपद सदस्यों और कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।
धरने से पूर्व मां दंतेश्वरी मंदिर में पूजा अर्चना कर एक रैली निकाली गई जो संजय मार्केट होते हुए पीएचई कार्यालय तक पहुंची। नारेबाजी, तख्तियां और जनता का आक्रोश—हर तरफ एक ही मांग थी: “हर घर पानी, अबकी बार जवाबदेही!”
पहला आश्वासन पत्र ठुकराया, दूसरा लिखवाया दबाव में अधिकारी

PHE विभाग के अधिकारियों ने प्रदर्शन के दौरान एक आश्वासन पत्र सौंपा, लेकिन उसमें गोलमोल और अस्पष्ट भाषा देख विधायक बघेल ने उसे तत्काल अस्वीकार कर दिया। प्रदर्शनकारियों के दबाव और तीखे सवालों के बीच अधिकारियों को दूसरा, स्पष्ट आश्वासन पत्र देना पड़ा, जिसमें यह वादा किया गया कि अगले तीन माह में बस्तर विधानसभा की 135 ग्राम पंचायतों और 200 से अधिक गांवों में अधूरे जल जीवन मिशन कार्य पूरे किए जाएंगे और बंद पड़े नलकूपों की मरम्मत होगी।
“अब यह केवल पानी की नहीं, अधिकार और सम्मान की लड़ाई है” – विधायक बघेल
बघेल ने तीखे शब्दों में चेताया कि यदि तीन माह में वादों पर अमल नहीं हुआ, तो बस्तर में आर्थिक नाकेबंदी, नगर बंद, और व्यापक जनहड़ताल जैसे कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने कहा: “जब केंद्र और राज्य दोनों जगह भाजपा की सरकार है, तो फिर बस्तर की जनता को पानी क्यों नहीं मिल रहा? क्या पानी जैसी बुनियादी ज़रूरत भी अब राजनीतिक सौदेबाज़ी में खो गई है?”
“ जल जीवन मिशन बना भ्रष्टाचार मिशन” – लगे गंभीर आरोप
विधायक बघेल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस शासनकाल में जल जीवन मिशन को गांव-गांव तक पहुँचाने की मंजूरी दी गई थी, लेकिन भाजपा सरकार में यह योजना भ्रष्टाचार की बलि चढ़ गई। कई गांवों में पाइपलाइन अधूरी, नल नहीं लगे, कुछ जगह पाइप बिछाकर छोड़ दिए गए हैं, और सैकड़ों नलकूप सालों से बंद पड़े हैं। बीते 27 मई को भी विधायक ने आंदोलन किया था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कार्यवाही नहीं की। इस बार आंदोलन और जनभागीदारी दोनों कहीं ज़्यादा व्यापक और संगठित हैं।
बस्तर बनेगा आंदोलन का केंद्र, यह जनक्रांति की शुरुआत है
बघेल ने साफ कहा – “अब ये आंदोलन यहीं नहीं रुकेगा। यदि आश्वासन पर भी काम नहीं हुआ, तो यह शांतिपूर्ण नहीं रहेगा। बस्तर अब जनआंदोलनों की ज़मीन बनेगा, और यह जनक्रांति की शुरुआत है।” संदेश साफ है – अब बस्तर चुप नहीं बैठेगा। पानी नहीं मिला, तो सड़कों पर तूफान उतरेगा। यह आंदोलन हर उस आवाज़ की लड़ाई है, जो आज भी पानी के लिए तरस रही है।