दैनिक मूक पत्रिका दंतेवाड़ा – जिले में कृषि उत्पादकता बढ़ाने और टिकाऊ खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से जिला प्रशासन एवं कृषि विभाग के संयुक्त प्रयासों से एक विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत परंपरागत जैविक सुगंधित धान की किस्मों, ’’लोकटीमांछी’’, ’’जवा फूल,’’ ’’जीरा फूल’’, ’’नीम फूल’’ और ’’सुगंधा’’ की वैज्ञानिक विधियों से खेती का प्रशिक्षण किसानों को उनके खेतों में दिया जा रहा है। इस वर्ष 6000 हेक्टेयर क्षेत्र में रोपा, कतार रोपा और श्री विधि के माध्यम से खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसमें से 1500 हेक्टेयर में विशेष रूप से श्री विधि अपनाई जा रही है। श्री विधि एक उन्नत वैज्ञानिक पद्धति है जिसमें कम बीज, कम पानी और अधिक जैविक खाद का उपयोग कर बेहतर उत्पादन प्राप्त किया जाता है। इस तकनीक की प्रमुख विशेषताएं 12 से 15 दिन के स्वस्थ पौधों का कतार में रोपण, एक पौधा प्रति स्थान, जैविक पोषक तत्वों जैसे जीवामृत, गोमूत्र, वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग, तथा आवश्यकता अनुसार सिंचाई किया जाना है। यह विधि न केवल उत्पादन बढ़ाती है, बल्कि जल और संसाधनों के संरक्षण में भी सहायक है। विकासखंड दंतेवाड़ा के ग्राम चंदेनार में आज इस कड़ी में उपसंचालक कृषि सूरज पंसारी, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी परीक्षित मंडावी, कृषक मित्र एवं प्रगतिशील किसानों की उपस्थिति में खेतों में कतार रोपा विधि का प्रदर्शन कर किसानों को वैज्ञानिक और जैविक खेती के लिए प्रेरित किया गया।
गौरतलब है कि जिलेभर में जैविक एवं प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने हेतु एफपीओ भूमगादी से जुड़े जैविक कार्यकर्ता, मैदानी कृषि अधिकारी एवं कर्मचारी सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं। किसानों को श्री विधि और कतार रोपा का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके साथ ही जैविक इनपुट जैसे जीवामृत, हंडी खाद, नीम आधारित कीटनाशी और वर्मी कंपोस्ट के प्रयोग की जानकारी भी दी जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि, जैविक उत्पादों की गुणवत्ता सुधार और किसानों की आय में स्थायी वृद्धि सुनिश्चित करना है। निश्चित ही प्रशासन का यह प्रयास दंतेवाड़ा को देश के अग्रणी जैविक कृषि मॉडल जिलों की सूची में स्थापित करेगी।
