स्मृति चिन्ह के रूप में काव्याभिनंदन और सम्मान पत्र भेंट करने के शौकीन अनंत थवाईत से वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रेस क्लब के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा की विशेष भेंटवार्ता
दैनिक मूक पत्रिका जांजगीर चांपा – लोगों के भिन्न भिन्न शौक होते है और यह शौक लोगों के बीच उनकी अलग पहचान बना देती है ऐसे ही लोगों मे एक नाम है अनंत थवाईत । सामाजिक साहित्यिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक और साहित्यिक पत्रकारिता से जुड़े बहुमुखी प्रतिभा के धनी अनंत थवाईत की कई विशेषताएं हैं लेकिन फिलहाल हम उनसे जुड़ी एक विशेषता को ही आपके समक्ष रख रहे है । यह विशेषता है उनके द्वारा लोगों को काव्याभिनंदन ,अभिनंदन एवं सम्मान पत्र भेंट किया जाना ।
अनंत थवाईत का कहना है कि किसी व्यक्ति विशेष को उनकी उपलब्धियों, कार्यों जन्मदिवस विवाह की वर्षगांठ या फिर किसी सार्वजनिक कार्यक्रम पर पुष्प गुच्छ से सजे गुलदस्ता भेंट करते हुए बधाई देने के बजाय शब्द पुष्प यानि काव्याभिनंदन , प्रशंसा पत्र, अभिनंदन पत्र , सम्मान पत्र भेंट किया जाना एक सुंदर उपहार होता है जिसकी याद वर्षों बनी रहती है । और दीवार पर टंगे इस स्मृति चिन्ह रुपी शब्द पुष्प की खुशबू यादों को दीर्घ काल तक महकाती रहती रहती है .
चर्चा के दौरान अपने विचार प्रगट करते हुए उन्होंने कहा कि हम सौ दो सौ रुपए का गुलदस्ता बनवाकर व्यक्ति को भेंट करते है लेकिन कुछ घंटो या एक दिन पश्चात सारे पुष्प मुरझा जाते है और फिर उन्हें कचरा के ढेर मे फेंकना पड़ता है । लेकिन यदि हम गुलदस्ता के बजाय अपनी भावनाओं को शब्दों मे पिरो कर अभिनंदन या सम्मान पत्र के रूप मे भेंट करते है तो इन शब्द पुष्पों की खुशबू लंबे समय तक बनी रहती है और यह एक स्मृति चिन्ह बनकर एक ओर उन खुशनुमा पलों की यादों को तरोताजा करते रहती है तो दूसरी ओर सम्मान देने और लेने वाले को भावनाओं की डोर से बांधे रखती है। सांस्कृतिक ,साहित्यिक तथा राजनीति से जुड़े अनंत थवाईत की पहचान एक स्वतंत्र पत्रकार के रुप मे लोगों के बीच बनी हुई है । लेखन क्षेत्र से जुड़े होने के कारण विशेष अवसरों पर लोगों को अभिनंदन पत्र भेंट करना उनका शौक बना हुआ है । वे अब तक निजी रुप से एवं अपने संगठन के माध्यम से दो सौ से अधिक लोगों को अभिनंदन , सम्मान पत्र के रुप मे शब्द पुष्प भेंट कर चुके हैं ।
“1989 मे दिलीप सिंह जूदेव से शुरू हुआ अभिनंदन पत्र भेंट करने का सिलसिला …”
चर्चा के दौरान अनंत थवाईत से जब पुछा गया कि काव्याभिनंदन पत्र देने की प्रेरणा कब और कैसे मिली ? तब उन्होंने बताया कि 1988 मे कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक विकास मंडल जांजगीर द्वारा नौ विशिष्ट लोगों को नव रत्न की उपाधि देते हुए उनके सम्मान मे काव्याभिनंदन लिखी गई थी और उसे एक पत्रक के रूप मे सार्वजनिक रूप से वितरित की गई थी । उससे ही प्रेरणा लेकर मैंने 1889 मे जशपुर नरेश और जांजगीर लोकसभा के तत्कालीन भाजपा उम्मीदवार दिलीप सिंह जूदेव को 14 सितंबर को चांपा के गौशाला प्रांगण मे आयोजित सभा के दौरान अभिनंदन पत्र भेंट किया था। इस अभिनंदन पत्र को नगर के पेंटर महेन्द्र खटकी ने सफेद पतले कपड़े पर लिखा था जिसे लकड़ी और कांच मे फ्रेम कराया गया था।
“सांसद , विधायक डाक्टर और मित्रों को भेंट किया गया अभिनंदन पत्र”
अनंत थवाईत ने बताया कि उनके द्वारा जशपुर नरेश दिलीप सिंह जूदेव के अलावा छत्तीसगढ़ निशक्तजन आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष बलिहार सिंह छग के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल,सांसद सुश्री सरोज पांडेय, तत्कालीन विधानसभा उपाध्यक्ष एवं विधायक नारायण चंदेल छग महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डेय, सांसद कमला पाटले छग युवा आयोग के उपाध्यक्ष कार्तिकेश्वर स्वर्णकार, छग उर्दू अकादमी के अध्यक्ष मो.सलीम मेमन नगर के वरिष्ठ पत्रकार एवं प्रेस क्लब चाम्पा के अध्यक्ष कुलवन्त सिंह सलूजा , राज्यपाल पुरस्कृत शिक्षक परमेश्वर स्वर्णकार, कुमुदिनी द्विवेदी, राजेंद्र जायसवाल, तत्कालीन नगर पालिका अध्यक्ष प्रदीप नामदेव क्षेत्र के वरिष्ठ प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ डा.श्रीमति शरद बिरथरे डा.व्ही एन बिरथरे डा.अनिता श्रीवास्तव डा.निहारिका राठौर डा.वीना चंद्रा डा.शौरभ बिरथरे डा.स्वाति बिरथरे मिशन अस्पताल संचालक श्रीमती मंजूला रेड्डी ,डा.जीपी दुबे,डा.आर के अग्रवाल,डा.मधुसुदन , भाजपा मंडल अध्यक्ष संतोष थवाईत ,राजन गुप्ता,राज अग्रवाल शिक्षिका सुमन लता यादव के साथ ही अपने मित्रों एवं पारिवारिक सदस्यों को जन्मदिवस विवाह,विवाह की वर्षगांठ, गृह प्रवेश आदि अवसरों पर अभिनंदन पत्र भेंट किया गया है इसके अलावा कन्या जन्म देने वाले लगभग 150 दंपतियों को बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के संयोजक के नाते सम्मान पत्र भेंट किया गया है।
” पद्मश्री बापट के व्यक्तित्व पर काव्य लिखा पर भेंट नहीं किया “
अनंत थवाईत ने चर्चा के दौरान बताया कि उन्होंने भारतीय कुष्ठ निवारण संघ सोंठी के तत्कालीन सचिव पद्मश्री बापट जी के व्यक्तित्व पर काव्य लिखा पर अभिनंदन पत्र के रूप मे उनके हाथों मे समर्पित नहीं किया । इसका कारण बताते हुए उन्होंने कहा कि बापट जी व्यक्तिगत प्रशंसा को कभी पसंद नहीं करते थे । भारतीय कुष्ठ निवारक संघ कात्रे नगर (सोंठी आश्रम) के पचास वर्ष पूर्ण होने पर स्मारिका प्रकाशन मे बापट जी ने उक्त काव्य को निजी प्रशंसा मानते हुए प्रकाशन करने के लिए मना कर दिया था उसके बाद मैंने उक्त काव्य को बापट जी के हाथों मे भेंट करने का साहस नहीं कर सका और बाद मे अपनी काव्य संग्रह धूप-छांव पुस्तक मे बापट जी के व्यक्तित्व पर आधारित कविता को प्रकाशित किया ।
श्रद्धांजलि मे भी शब्द पुष्प अर्पित….
“जिंदगी जीने के लिए है गुजारने के लिए नहीं” इस वाक्य को अपने जीवन का सुत्र मानने वाले अनंत थवाईत ने लोगों को विवाह जन्मदिवस या फिर उपलब्धियों के अवसर पर फ्रेम युक्त शब्द पुष्प भेंट करने के अलावा कुछ विशिष्ट लोगों के निधन पर भी श्रद्धांजलि के रूप मे काव्य लिखा है । इनमे छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार मदन लाल गुप्त, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के छोटे लाल स्वर्णकार,समाज सेवी विमल अग्रवाल, चांपा गोली कांड मे शहीद हुए राजकरण दुग्गड़ आदि शामिल हैं । नगर के शहीद सैनिक सुधीर पाठक की शहादत पर भी काव्यांजलि लिखकर फ्लैक्स मे फ्रेम करा के टाउन प्राथमिक स्कूल एवं हाईस्कूल मे दिया गया है .
चर्चा के दौरान अनंत थवाईत कहते है कि पहले किसी को अभिनंदन पत्र भेंट करना होता था तो सादे कागज पर टाइप करवाना पड़ता था या कपड़ा फिर ड्राइंग सीट पेपर पर पेंटर की मदद से सुंदर लिखावट वाला अभिनंदन पत्र तैयार करवाना पड़ता था किन्तु अब यह आसान हो गया है और कंप्यूटर के माध्यम से आकर्षक डिजाइन और फोटो के साथ कम खर्च मे तैयार हो जाता है । प्रिंट निकलवाने के बाद उस पर फ्रेम चढ़ाकर भेंट करना ज्यादा अच्छा होता है ।
अभिनंदन ,काव्याभिनंदन बधाई एवं सम्मान पत्र में मामूली भिन्नता ..
चर्चा के दौरान अनंत थवाईत बताते हैं कि व्यक्तित्व के आधार पर अभिनंदन-पत्र ,काव्याभिनंदन, बधाई पत्र ,सम्मान पत्र के लिखावट मे थोड़ी भिन्नता होती है । अभिनंदन पत्र मे व्यक्ति का कार्यक्षेत्र के अनुसार क्रमबद्ध तरीके से लघु परिचय लिखा जाता है ,काव्याभिनंदन मे कविता के माध्यम से बधाई के साथ साथ शुभकामना संदेश होता है बधाई पत्र मे सीधे सीधे किसी उपलब्धि पर बधाई देते हुए संदेश लिखा जाता है । सम्मान पत्र मे भी किसी विषय या उपलब्धि को केन्द्रबिंदु मानते हुए व्यक्ति के लिए सम्मान पत्र लिखा जाता है ।
“दूसरों के सहयोग से भी तैयार कर सकते है अभिनंदन पत्र..”
चर्चा के दौरान अनंत थवाईत कहते है कि यदि किसी को अभिनंदन पत्र लिखना नहीं आता तो वे लेखन क्षेत्र से जुड़े लोगों से सहयोग लेकर अभिनंदन पत्र बधाई संदेश आदि लिखवाकर उसे कार्ड सीट मे प्रिंट करा सकते हैं या फिर फ्लैक्स मे भी प्रिंट करा के उसे सुंदर फ्रेम मे बंधवाकर दिया जा सकता है ।