दैनिक मूक पत्रिका नई दिल्ली। उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला ये फल तबीयत हरी कर सकता है। न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि बेहतरीन इम्यूनिटी बूस्टर भी है। लोकल लोग इसे पहाड़ी सेब कहते हैं।
उत्तराखंड के बागेश्वर जैसे पहाड़ी इलाकों में पाया जाने वाला नाशपाती का फल एक बेहतरीन इम्यूनिटी बूस्टर माना जाता है। इसे स्थानीय लोग “पहाड़ी सेब” भी कहते हैं। बागेश्वर के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. ऐजल पटेल बताते हैं कि इसमें विटामिन C, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट प्रचुर मात्रा में होते हैं। जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं। खासतौर पर मानसून में इसका सेवन स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है।
नाशपाती केवल मानसून के दौरान पकता है। पहाड़ों की जलवायु और मिट्टी इसके स्वाद को खास बनाते हैं। बारिश के मौसम में जब यह पेड़ों पर पूरी तरह से पक जाता है, तब इसकी ताजगी और मिठास चरम पर होती है।
पहाड़ी नाशपाती को बिना किसी रासायनिक खाद या कीटनाशक के उगाया जाता है। यह पूरी तरह जैविक फल होता है, जो पर्यावरण के अनुकूल है। इसकी खेती ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक तरीकों से की जाती है, जिससे इसका स्वाद और पौष्टिकता दोनों बरकरार रहते हैं।
नाशपाती का स्वाद मीठा और बहुत ही ताजगी भरा होता है। जैसे ही यह फल बाजार में आता है। इसकी मांग बढ़ जाती है। लोग इसे कच्चा खाने के अलावा इसकी चटनी और अचार भी बनाते हैं। पहाड़ों पर मानसून के दौरान यह फल खूब बिकता ह। स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोग इसे खूब खरीदते हैं।
नाशपाती का नियमित सेवन न केवल स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाता है, बल्कि यह मौसमी बीमारियों से भी बचाव करता है।
