दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा – भारत एक कृषि प्रधान देश है एवम् देश की 55% जनता कृषि कार्य करती है । कृषि का देश की GDP में 18% का योगदान है । केन्द्र सरकार ने वर्ष 2024-25 के लिये 1.64 लाख करोड़ खाद सब्सिडी देने की बात बजट में की थी पर ज़मीनी स्तर में उसका अलम नहीं कर पायी है । बरसात का मौसम आते ही किसान कृषि कार्यों में लग जाते हैं जिसमे खाद एवम् सिचाई एक महत्वपूर्ण अंग है पर मंडी में सरकारी खाद ना मिलने से छत्तीसगढ़ के समस्त किसानों को अत्यधिक परेशानी का सामना करना पढ़ रहा है । मार्केट में खाद के दाम बहुत अधिक होने किसानों का प्रारंभिक कृषि बजट बढ़ गया । बार बार सरकार से गुहार के बाद भी आश्वासन के अलावा कुछ हाथ नहीं लगा । नरवा गरवा छुरवा बारी योजना के बंद होने से घरेलू खाद उत्पादन में भी तेज़ी से कमी आयी है और सरकार खाद की कालाबाज़ारी रोकने में पूर्णतः असफ़ल रही है । छत्तीसगढ़ की मिट्टी में प्राकृतिक रूप से नाइट्रोजन की कमी होती है जिसे यूरिया खाद से ही पूरा किया जा सकता है। सरकार किसानों पर ज़रूरत से ज़्यादा यूरिया सिचाई का आरोप लगाती है जबकि मृदा जाँच से पता चलता है कि छत्तीसगढ़ में यूरिया सही मात्रा में डाली जा रही पर हरियाणा , पंजाब के तर्ज़ पर सरकार किसानों को सब्सिडाइज़ यूरिया से वंचित कर रही है । रुस से आने वाले प्राकृतिक गैस से यूरिया का निर्माण होता है जिसका सतत रूप से प्रवाह हो रहा है फिर भी यूरिया की कमी बनी हुई है । हमारे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी ने जय जवान,जय किसान का नारा दिया था पर भाजपा सरकार ने अग्निवीर योजना लाकर जवानों का हौसला गिराया और खाद ना देखकर किसानों को नुक़सान पहुँचाया । भाजपा ने नारे को बदल कर जय अंबानी, जय अडानी कर दिया है , कही पेड़ काटे जा रहे हैं कही ड्रग्स पाये जा रहे हैं तो कही एअरपोर्ट बेचें जा रहे हैं । खाद्य सुरक्षा अधिनियम ,2002 के तहत उत्पादन बढ़ा कर देश की खाद्य सुरक्षा को निश्चित करने में किसानों का बहुत बड़ा योगदान है । भारतीय खाद्य निगम को अधिक से अधिक गोदाम , कोल्ड स्टोरेज और वेयरहाउस बनाकर फ़सल का भंडारण कर ख़राब होने से बचाना चाहिये । खाद में कमी कर उत्पादन को कम करना पूर्णतः अनुचित है और उत्पादन की कमी से भविष्य में महँगाई बड़ सकती है ।
