खबर का असर
दैनिक मूक पत्रिका सूरजपुर/भैयाथान- भारी बारिश और हाइड्रो पावर प्लांट से छोड़े गए पानी के कारण डूबे खेत और बर्बाद फसलों की खबर ने आखिरकार प्रशासन को जगा दिया। मीडिया में लगातार उठाए गए सवालों के बाद सोमवार को प्रशासनिक अमला दल-बल के साथ मौके पर पहुँचा। एसडीएम मैडम, तहसीलदार, जल संसाधन विभाग के ईई, एसडीओ सहित कई अधिकारी किसानों के बीच पहुँचे और हालात का जायजा लिया।

अधिकारियों ने पानी से तबाह हुई फसलों को देखा और किसानों की पीड़ा सुनी। मौके पर मौजूद किसानों ने प्रशासन की तत्परता को सराहा और कहा अब उम्मीद है कि अन्याय नहीं होगा, हमें हमारा हक़ और न्याय मिलेगा। लेकिन साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या यह कार्रवाई सिर्फ औपचारिकता बनकर रह जाएगी या वास्तव में किसानों को वाजिब मुआवजा और समस्याओं का समाधान मिलेगा?

किसानों का दर्द, हमारी मेहनत बह गई, अब न्याय चाहिए
किसानों ने स्पष्ट कहा कि हाइड्रो प्रबंधन की मनमानी और प्रशासन की लापरवाही ने उनकी सालभर की मेहनत को पानी में बहा दिया। धान की फसल बर्बाद हो चुकी है, और खेतों में सिर्फ कीचड़ रह गया है। ऐसे में सिर्फ जांच टीम के दौरे से कोई राहत नहीं मिलने वाली। किसान मांग कर रहे हैं कि नुकसान का तत्काल आकलन कर उचित मुआवजा दिया जाए।
गंभीर सवाल जो जवाब मांगते हैं
क्या प्रशासन सिर्फ कागजी खानापूर्ति करेगा या दोषियों पर सख्त कार्रवाई भी होगी? क्या हाइड्रो पावर प्रबंधन को जवाबदेह ठहराया जाएगा? क्या किसानों को उनकी फसल का वाजिब मुआवजा मिलेगा? क्या भविष्य में ऐसी तबाही रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे?
किसानों की उम्मीदें, लेकिन भरोसा अधूरा
प्रशासन की तत्परता ने किसानों में उम्मीद जरूर जगाई है, लेकिन यह भरोसा तभी कायम होगा जब उन्हें न्याय मिलेगा। सवाल यह है कि यह दौरा केवल दिखावे तक सीमित रहेगा या पीड़ित किसानों को मिलेगा उनका हक़ और जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज?
अब पूरा जिला निगाहें गड़ाए बैठा है, क्या यह कार्रवाई किसानों की जिंदगी में नई रोशनी लाएगी या पहले की तरह जांच की फाइलें फिर धूल खाती रहेंगी?