दैनिक मूक पत्रिका कांकेर – काँकेर इन दिनों काँकेर की नगर पालिका अपने प्रमुख कार्य साफ सफाई एवं पेयजल पूर्ति को भूलकर सारी ताकत काँक्रेर के पुराने मार्केट के फुटपाथी सब्जी विक्रेताओं को नए बस स्टैंड के घोर असुविधा जनक डोम में जबरदस्ती भेजने में लगा रही है। इस बेमतलब के कार्य को नगर पालिका महान क्रांतिकारी कार्य बताने पर तुली हुई है, लेकिन स्पष्ट दिखाई देता है कि नगर पालिका की पक्षपाती नीति ग्रामीण सब्जी वालों के सख्त खिलाफ है और कोचिया लोगों के पक्ष में है। यह सब्जी कोचिया हर जगह पुराने या
नए बस स्टैंड काँकेर में अपनी मनपसंद जरूरत से ज्यादा जगह बहुत पहले से घेर चुके हैं और ग्रामीणों को वहां बैठने नहीं देते, दादागिरी बता कर भगा देते हैं।
मजबूर होकर ग्रामीण सब्जी वालों को डोम के बाहर छाते के सहारे छोटा सा पसरा लगाना पड़ता है या फिर अपना सारा सामान इन्हीं मुनाफाखोर
के राज के आगे नतमस्तक दिखाई देती है। इस मामले में पूर्व की कांग्रेस तथा वर्तमान की भाजपाई नगर पालिका दोनों का रवैया शतप्रतिशत मेल खाता है।
कोचियों को औने पौने बेचकर निराश होकर गांव लौटना पड़ता है। इसी कारण नागरिकों को भी सब्जी महंगी मिलती है और लोग गांव से आई हुई ताजी सब्जी के लिए तरसते रह जाते हैं। कोचियों के हाथ जो माल लगता है, उसे वे मनमानी रेट पर बिक्री करते हैं और अंधी लूट का पैसा कमाते हैं। नगर पालिका इन कोचियों
तानाशाही शासन में सब्जी जब्त कर ग्रामीणों को नुकसान पहुंचाना, सब्जी फेंक देना, फिनाइल डाल देना जैसी घटनाएं देखी गई हैं। जबकि किसी कोचिया का कभी का भी चालान काटा गया हो, ऐसी कोई घटना याद नहीं आती। ये लोग खुलेआम बासी सब्जी पानी छिड़क छिड़क कर तथा हरा कलर की हुई सब्जी बेचते दिखाई देते हैं लेकिन अज्ञात कारणों से इन पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती।