दैनिक मूक पत्रिका रायपुर – छत्तीसगढ़ की मीडिया और राजनीति के गलियारों में एक नई बहस ने जन्म ले लिया है। कांग्रेस पार्टी के मीडिया संचार प्रभारी सुशील आनंद शुक्ला द्वारा वरिष्ठ पत्रकार विप्लव दत्ता को नोटिस भेजे जाने के बाद पत्रकारों में भारी आक्रोश देखा जा रहा है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब 16 जुलाई को पत्रकार विप्लव दत्ता ने एक समाचार प्रकाशित किया, जिसमें सूत्रों के हवाले से दावा किया गया था कि कांग्रेस संचार प्रभारी का पद बदला जा सकता है और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से उनका सामंजस्य नहीं रह गया है।
इस खबर के प्रकाशित होने के बाद सुशील आनंद शुक्ला ने पत्रकार को नोटिस भेजा, जिसमें समाचार डिलीट करने और माफी मांगने जैसी बातें लिखी गई थीं। पत्रकारों का कहना है कि यह कदम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला है और मीडिया को मानसिक रूप से दबाव में लाने की कोशिश है।
पत्रकार संगठनों में नाराजगी, राष्ट्रीय नेतृत्व को पत्र की तैयारी
पत्रकारों का कहना है कि कांग्रेस पार्टी लोकतांत्रिक व्यवस्था और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बात तो करती है, लेकिन जब कोई पत्रकार उनकी कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, तो उसे दबाने की कोशिश होती है। कई पत्रकारों ने यह भी कहा कि वे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को पत्र लिखकर सुशील आनंद शुक्ला को पद से हटाने की मांग करेंगे।
सूत्रों के हवाले से खबर पर नोटिस: पत्रकारिता पर सीधा हमला

वरिष्ठ पत्रकार विप्लव दत्ता ने यह स्पष्ट किया है कि उन्होंने खबर केवल सूत्रों के हवाले से प्रकाशित की थी, जैसा कि मुख्यधारा की पत्रकारिता में आम चलन है। बावजूद इसके, उन्हें नोटिस थमा दिया गया, जिसे पत्रकार जगत उनके मनोबल को तोड़ने की कोशिश माना रहा है।
पहले भी लग चुके हैं आरोप
यह पहला मामला नहीं है जब कांग्रेस नेता सुशील आनंद शुक्ला विवादों में आए हों। इससे पहले महिला कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय प्रवक्ता राधिका खेड़ा ने भी उन पर गंभीर आरोप लगाए थे, जिनमें अशोभनीय व्यवहार और अनुचित प्रस्ताव जैसी बातें शामिल थीं।
पत्रकारिता को दबाने की साजिश?
मीडिया समुदाय का मानना है कि यह घटना एक चिंताजनक संकेत है, जहां पत्रकारों को केवल इसलिए निशाना बनाया जा रहा है क्योंकि वे सत्ता से सवाल पूछ रहे हैं। पत्रकारों ने इस कदम को इमरजेंसी की याद दिलाने वाला बताया है, जब इंदिरा गांधी के शासनकाल में मीडिया की आजादी पर पहरा बैठा दिया गया था।
अब सवाल यह है—क्या कांग्रेस अब भी अभिव्यक्ति की आजादी से डरती है?
पत्रकारों की मांग है कि लोकतंत्र में सवाल उठाना गुनाह नहीं होना चाहिए। कांग्रेस पार्टी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वह अब भी उस पुरानी शैली में यकीन रखती है, जिसमें असहमति को दबाया जाता है, या फिर वह एक खुले और उत्तरदायी लोकतंत्र की समर्थक है
सुनील आनंद शुक्ला – मीडिया संचार प्रभारी
गलत तरीके से समाचार चलाया गया था इसलिए हमारे वकील द्वारा नोटिस दिया गया है।
गौरीशंकर श्रीवास प्रवक्ता भाजपा –
एक चरित्र हीन व्यक्ति ने जिन पर, उनकी पार्टी की महिला ने गंभीर आरोप लगाए थे वह व्यक्ति गुंडा की तरह पत्रकारों को नोटिस देकर धमकाने की कोशिश कर रहे है। ऐसा प्रतीत होता है कि सत्ता का नशा अभी उतरा नहीं , प्रदेश में विष्णुदेव की सुशासन की सरकार है पत्रकारों के साथ हम खड़े रहेंगे और इस लड़ाई को लड़ेंगे