दैनिक मूक पत्रिका बस्तर – बस्तर रेंज के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में शांति, विकास और सामाजिक पुनर्स्थापना की दिशा में एक नई शुरुआत “पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” अभियान के माध्यम से की जा रही है। यह केवल एक पुनर्वास कार्यक्रम नहीं है, बल्कि एक समावेशी सामाजिक आंदोलन है, जिसका उद्देश्य समाज के सभी वर्गों की भागीदारी से दंतेवाड़ा को स्थायी शांति, सामाजिक सौहार्द और समृद्धि की ओर अग्रसर करना है।
पुनर्वास के माध्यम से पुनर्निर्माण
मुख्यधारा में लौटे सभी आत्मसमर्पित माओवादियों को सरकार की पुनर्वास योजनाओं के अंतर्गत सम्मिलित किया गया है। इन योजनाओं में शामिल हैं:
▪ कौशल विकास प्रशिक्षण
▪ स्वरोजगार एवं आजीविका संवर्धन
▪ मनोवैज्ञानिक परामर्श और सामाजिक पुनःस्थापना
यह पहल आत्मसमर्पित माओवादियों को आत्मनिर्भर, सम्मानजनक और सुरक्षित जीवन प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अभियान बस्तर रेंज के सभी सात जिलों —
सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर, कोंडागांव, बस्तर और कांकेर — में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है।
क्रूर और जनविरोधी माओवादी विचारधारा का खात्मा, शांति की स्थापना
“पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” का उद्देश्य केवल माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित करना नहीं है, बल्कि उनकी क्रूर और जनविरोधी विचारधारा को समाप्त कर संपूर्ण बस्तर को स्थायी शांति, समावेशी विकास और सामाजिक सौहार्द की ओर ले जाना है।
माओवादी कैडरों से आत्मसमर्पण कर पुनर्वास का लाभ उठाने की अपील
“पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” केवल एक पुनर्वास अभियान नहीं, बल्कि एक आशा का प्रतीक है — यह विश्वास दिलाने का प्रयास है कि सकारात्मक परिवर्तन संभव है, और अब उसका समय आ चुका है। माओवादियों से यह अपील की गई है कि वे हिंसा का मार्ग त्यागें और समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के प्रति अपने दायित्वों को समझें और शांति, सद्भाव एवं पुनर्वास का मार्ग अपनाएं। यह निर्णय न केवल आत्मसमर्पण करने वालों के भविष्य को सुरक्षित बनाएगा, बल्कि एक शांतिपूर्ण, समरस और प्रगतिशील बस्तर के निर्माण में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका सुनिश्चित करेगा।
उल्लेखनीय है कि
भारत सरकार और छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर, पिछले 18 महीनों में दंतेवाड़ा जिला में 81 ईनामी माओवादी सहित कुल 353 से अधिक माओवादियों ने हिंसा का मार्ग छोड़कर सामाजिक मुख्यधारा को अपनाया है। माओवादियों की वरिष्ठ नेतृत्व से लेकर आधार क्षेत्र के सक्रिय कैडर तक बड़ी संख्या में माओवादी संगठन से अलग हो चुके हैं।
“पूना मारगेम: पुनर्वास से पुनर्जीवन” अभियान के प्रमुख फोकस क्षेत्र इस प्रकार हैं:
माओवादी कैडरों से संपर्क स्थापित कर उन्हें यह प्रोत्साहन देना कि वे प्रतिबंधित एवं अवैध माओवादी संगठन से अलग होकर समाज की मुख्यधारा में लौटें।
उन्हें आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति–2025 के लाभों से अवगत कराना।
माओवादी कैडरों को यह एहसास कराना कि माओवादी संगठन अब दिशाहीन और नेतृत्वविहीन हो चुका है — समय रहते एक नया जीवन शुरू करें।
आत्मसमर्पित माओवादी कैडरों के लिए पुनर्वास केंद्रों में कौशल विकास प्रशिक्षण की व्यवस्था करना, जिससे वे समाज की मुख्यधारा में पुनः एकीकृत होकर सम्मानजनक जीवन व्यतीत कर सकें।
उनके भीतर यह विश्वास जगाना कि वे परिवर्तन के वाहक बन सकते हैं और दंतेवाड़ा की शांति, सुरक्षा एवं विकास में सक्रिय भागीदार की भूमिका निभा सकते हैं।