दैनिक मूक पत्रिका दंतेवाड़ा – छत्तीसगढ़ के बस्तर बस्तर अंचल की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी मंदिर प्रांगण में बीते गुरुवार को हरेली अमावस्या के मौके पाट जात्रा पूजा विधान के साथ विश्व प्रसिद्ध ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व की शुरुआत हुई ।इस दौरान पारंपरिक मांझी चालकि, मेंबर , मेंबरिन,पुजारी, नाईक, पाईक, सेवादार रथ निर्माण के लिए औजार बन रहे हैं बनाने वाले ठूरलू , कोठला रसम अदा करेंगे। इस अवसर पर बस्तर दशहरा समिति द्वारा माझी चालकी, मेंबर मेंबरिन, पुजारी, पटेल , नाईक पाईक सेवादारों सहित गणमान्य नागरिकों एवं ग्रामीणों की उपस्थिति में पाट जात्रा पूजा विधान में शामिल होकर बस्तर दशहरा की शुरुआत की गई। जात्रा पूजा विधान के साथ ही बस्तर की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी को समर्पित इस 75 दिवसीय ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व में शुक्रवार 5 सितंबर को डेरी गड़ई पूजा विधान , रविवार 21 सितंबर को काछनगादी पूजा विधान ,सोमवार 22 सितंबर को कलश स्थापना पूजा विधान मंगलवार 23 सितंबर को जोगी बिठाई पूजा विधान सहित बुधवार 24 सितंबर से सोमवार 29 सितंबर 2025 तक प्रतिदिन नवरात्रि पूजा एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान सोमवार 29 सितंबर को सुबह 11:00 बजे बेल पूजा , मंगलवार 30 सितंबर को महाष्टमी पूजा विधान एवं निशा जात्रा पूजा विधान बुधवार 01 अक्टूबर को कुंवारी पूजा विधान, जोगी उठाई पूजा विधान एवं मावली परघाव, गुरुवार 02 अक्टूबर को भीतर रैनी पूजा विधान एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान शुक्रवार 3 अक्टूबर को बाहर रैनी पूजा विधान एवं रथ परिक्रमा पूजा विधान शनिवार 4 अक्टूबर को सुबह का काछन जात्रा पूजा विधान के पश्चात दोपहर में मुरिया दरबार का आयोजन होगा । वहीं रविवार 5 अक्टूबर को कुटुंब जात्रा पूजा विधान में ग्राम में देवी देवताओं की विदाई की जाएगी और मंगलवार 7 अक्टूबर को मावली माता की डोली विदाई पूजा विधान के साथ ऐतिहासिक बस्तर दशहरा पर्व का समापन होगा
