दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा :- विगत दिवस कोरबा जिला ग्राम उरगा निवासी उत्कृष्ट लेखक साहित्यकार मँगत रविन्द्र जी बेमेतरा नगर में डॉ. गोकुल बँजारे चँदन के निवास स्थान जुना कैइहा तरिया पार
पहुँचे जिसका बँजारे परिवार व कुछ साहित्यकारों, कलाकारों ने स्वागत अभिनन्दन किया,उपस्थित साहित्यकारों के साथ छत्तीसगढी भाषा के विकास पर आधारित साहित्यिक गतिविधियों पर विशेष बातचीत किया गया, दूसरे दिवस वे बेमेतरा तहसील अँतर्गत ग्राम चँदनु, कोसा, मुलमुला, बहुनवागाँव का भी भ्रमण किया । मँगत रविन्द् द्वारा छत्तीसगढी भाषा का अधिक से अधिक दैनिक जीवन में उपयोग करने बोलने लिखने पढने हेतु आमजन तक साहित्य व कला के माध्यम से प्रेरित करने कहा गया, साहित्य समाज का दर्पण है को विस्तार पूर्वक समझाया गया। छत्तीसगढ़ में नाचा गम्मत लुप्त प्राय होने की कगार पर भी चिंता जाहिर की गई, रविंद्र द्वारा अभी तक लगभग बीस किताबों का लेखन कर प्रकाशित किया गया है, जिसमें प्रभात सागर चर्तित रचना है, इसके अलावा छतीसगढी व्याकरण, गीत गँगार, सुगंध धारा, रतनजोत, आधुनिक विचार आदि शामिल है। उनका लेख कुछ पाठ्य पुस्तकों में भी शामिल किया गया है।
रविन्द्र जी के सम्मान पर सान्ध्य कालीन काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें हास्य व्यँग युवा कवि मणीशँकर दीवाकर चँदनु से , जुगेश बँजारे छिरहा से कोमल मानदेव बहुनवागाँव, मनोज पाटिल, भुवन दास जाँगडे सिरवाबाँधा, मँगत रविन्द्र, व गोकुल बँजारे चँदन, पत्रकार उमाशंकर दीवाकर,सहित कवित्री काँतिप्रभा बँजारे शामिल रहे।
गोष्ठी का विधिवत सँचालन कवि गोकुल चँदन ने किया। ससम्मान अगले दिवस वे बिलासपुर होते हुए उरगा कोरबा के लिए प्रस्थान किया।
