दैनिक मूक पत्रिका सूरजपुर/भैयाथान –-पंडित रविशंकर त्रिपाठी शासकीय महाविद्यालय, भैयाथान में प्राचार्य पद पर सीबी मिश्रा की पुनः नियुक्ति को लेकर विवाद लगातार गहराता जा रहा है। तीसरे दिन भी महाविद्यालय परिसर में छात्र धरने पर डटे रहे और जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। आक्रोशित छात्रों ने दो टूक कहा है कि अगर उनकी मांगें जल्द नहीं मानी गईं, तो वे चक्का जाम जैसे उग्र कदम उठाने को बाध्य होंगे।
पूर्व प्राचार्य की वापसी या योग्य विकल्प की मांग
छात्रों की मुख्य मांग है कि पूर्व प्राचार्य रंजीत कुमार सातपुते को यथावत पद पर बहाल किया जाए या फिर किसी योग्य और अनुभवी प्राचार्य की नियुक्ति की जाए। उनका आरोप है कि सीबी मिश्रा के पहले कार्यकाल में महाविद्यालय की शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई थी, और छात्रों का परिणाम निराशाजनक रहा। प्रदर्शनकारी छात्रों ने दावा किया कि उस समय 71 में से 70 छात्र फेल हो गए थे, जिससे कॉलेज की प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचा।
शिक्षा और गरिमा की लड़ाई: छात्रों का ऐलान
धरने में शामिल छात्र इसे सिर्फ एक नियुक्ति का मुद्दा नहीं, बल्कि शैक्षणिक भविष्य और संस्थान की गरिमा की लड़ाई बता रहे हैं। छात्र नेताओं ने दोहराया कि वे किसी भी कीमत पर सीबी मिश्रा को स्वीकार नहीं करेंगे। उनका कहना है कि सातपुते के नेतृत्व में महाविद्यालय में सकारात्मक बदलाव हुए, और छात्रों की पढ़ाई बेहतर दिशा में बढ़ी। ऐसे में एक असफल प्राचार्य की दोबारा वापसी, छात्रों और संस्थान दोनों के लिए घातक हो सकती है।
जनप्रतिनिधियों से हस्तक्षेप की मांग, ज्ञापन सौंपा गया
छात्रों ने सांसद प्रतिनिधि अमन प्रताप सिंह को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि वे मामले में हस्तक्षेप कर समाधान निकालें। अमन सिंह ने छात्रों को भरोसा दिलाया है कि वे इस विषय पर सांसद से चर्चा करेंगे और छात्रों के हितों की रक्षा करेंगे।
शासन-प्रशासन की प्रतिक्रिया सुस्त, मीडिया से मिली जानकारी
उच्च शिक्षा विभाग के सहायक संचालक गोवर्धन यदु का कहना है कि उन्हें अभी तक इस संबंध में कोई औपचारिक शिकायत नहीं मिली है, लेकिन मीडिया से जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि यदि विधिवत आवेदन प्राप्त होता है, तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
तनावपूर्ण माहौल, प्रशासन के लिए अग्निपरीक्षा
भैयाथान क्षेत्र का यह विवाद अब शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन दोनों के लिए चुनौती बन चुका है। छात्रों के तेवर तीखे हैं और चेतावनी स्पष्ट या तो निर्णय बदला जाए या आंदोलन तेज़ होगा। इस स्थिति में प्रशासन पर दबाव है कि वह जल्द हस्तक्षेप कर कोई संतुलित समाधान निकाले, ताकि शैक्षणिक गतिविधियां सुचारू रूप से बहाल हो सकें और कॉलेज की साख बनी रहे।