दैनिक मूक पत्रिका बकावंड – बकावंड जनपद पंचायत में बीते बुधवार को प्रस्तावित सामान्य सभा बैठक भारी असहमति और बहिष्कार की भेंट चढ़ गई। तय समय पर आयोजित इस बैठक में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष सहित कुल 02 ही सदस्य उपस्थित रहे, जिससे quorum न पूर्ण होने के कारण बैठक स्थगित करनी पड़ी। इस घटनाक्रम ने जनपद की सक्रियता और पंचायती व्यवस्था के भविष्य को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बताया गया कि यह बैठक जनपद पंचायत के प्रशासनिक और विकासात्मक कार्यों की समीक्षा, प्रस्ताव पारित करने और सदस्यों की सहभागिता सुनिश्चित करने के लिए रखी गई थी, लेकिन अधिकांश निर्वाचित जनप्रतिनिधियों ने या तो उपस्थिति दर्ज नहीं कराई या फिर जानबूझकर बैठक से दूरी बनाए रखी। स्थानीय स्तर पर इसे एक “एकतरफा बहिष्कार” की संज्ञा दी जा रही है।
चुनाव के सिर्फ 4 महीने बाद ही निष्क्रियता उजागर
जनपद पंचायत के चुनाव हुए अभी चार महीने ही बीते हैं, लेकिन अध्यक्ष और उपाध्यक्ष की निष्क्रियता और संगठनात्मक विफलता अब खुलकर सामने आने लगी है। आरोप है कि वे न तो जनप्रतिनिधियों के बीच समन्वय बना पा रहे हैं, न ही पंचायत के कार्यों को गति दे पा रहे हैं। इस कारण जनपद सदस्यों में नाराजगी बढ़ रही है और पारदर्शिता पर भी सवाल उठ रहे हैं।
लोकतंत्र को लगा झटका, क्या अगली बैठक होगी सफल?
इस बैठक का बहिष्कार केवल प्रशासनिक असफलता नहीं, बल्कि पंचायती लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर भी गंभीर आघात है। यदि यही रुख रहा तो आगामी पांच वर्षों के कार्यकाल में जनपद पंचायत का विकास कार्य बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। अब निगाहें अगली प्रस्तावित बैठक पर टिकी हैं—क्या उसमें जनप्रतिनिधि सामूहिक भागीदारी देंगे या एक बार फिर बहिष्कार की पुनरावृत्ति होगी?
स्थानीय नागरिकों में भी असंतोष
इस घटनाक्रम से ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भी गहरा असंतोष है। लोगों का मानना है कि पंचायत प्रतिनिधियों को जनभावनाओं का सम्मान करना चाहिए और बैठकों में शामिल होकर अपनी भूमिका निभानी चाहिए। जनता ने जिन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है, उनसे वह जवाबदेही और सक्रिय भागीदारी की अपेक्षा रखती है।
अब सवाल यह है कि क्या बकावंड जनपद पंचायत अपने कार्यों को पटरी पर ला पाएगी, या यह शुरुआत ही पूरे कार्यकाल की दिशाहीनता का संकेत है? जनप्रतिनिधियों को जल्द ही यह निर्णय लेना होगा कि वे पंचायत की प्रतिष्ठा को प्राथमिकता देंगे या राजनीतिक खींचतान में जनहित को ताक पर रखेंगे।