सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम, जनसुरक्षा और पशु कल्याण हेतु समग्र रणनीति तैयार
दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा – जिले में सड़कों पर घूमते आवारा और घुमंतू पशुओं की वजह से हो रही सड़क दुर्घटनाएं और यातायात अव्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक श्री रामकृष्ण साहू एवं अपर कलेक्टर डॉ. अनिल वाजपेई नागरिकों की जानमाल की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए आज कलेक्टोरेट सभाकक्ष में एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई | बैठक में एडिशनल एसपी श्रीमती ज्योति सिंह, आरटीओ श्री अरविंद भगत, नगरपालिका सीएमओ, पशुपालन, राजस्व, पुलिस, नगरीय प्रशासन और पंचायत विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों सहित अन्य विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
एसएसपी श्री साहू ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब जिले में सड़कों पर मवेशियों की उपस्थिति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह स्थिति केवल यातायात में बाधा नहीं, बल्कि नागरिकों की जान को भी खतरे में डाल रही है। उन्होंने नगर निकायों को तत्काल विशेष अभियान चलाकर सड़कों से आवारा पशुओं को हटाने और उन्हें चिन्हांकित आश्रय स्थलों अथवा गौशालाओं में सुरक्षित रूप से रखने के निर्देश दिए। साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि कोई पशुपालक अपने मवेशियों को खुले में छोड़ता है, तो उसके खिलाफ पशु अधिनियमों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बैठक में लिए गए प्रमुख निर्णय और निर्देश
बैठक में सभी संबंधित विभागों की भागीदारी से समग्र और बहुआयामी कार्ययोजना पर विचार किया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सड़कों पर मवेशियों के विचरण को नियंत्रित कर जनसुरक्षा, पशु कल्याण, यातायात नियंत्रण, और स्वच्छता को सुनिश्चित करना है। बैठक में लिए गए कुछ प्रमुख निर्णय लिए गए जिसमे नगर निकाय विशेष अभियान चलाकर आवारा पशुओं को पकड़ेंगे और चिन्हित गोशालाओं अथवा अस्थायी आश्रय स्थलों में सुरक्षित रूप से विस्थापित करेंगे।
चिन्हित दुर्घटना स्थलों पर पुलिस गश्त और सीसीटीव्ही निगरानी बढ़ाई जाएगी।
जो लोग जानबूझकर अपने पशुओं को खुले में छोड़ते हैं, उनके खिलाफ जुर्माना और अन्य वैधानिक कार्यवाही की जाएगी।
ग्राम सभाओं, स्कूलों, जनचौपाल, रेडियो, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से पशुपालकों को स्टाल फीडिंग, पशु प्रबंधन, और पशु अधिनियमों की जानकारी दी जाएगी।
संकेतक बोर्ड एवं स्ट्रीट लाइट्स दुर्घटना संभावित मार्गों पर लगाए जाएंगे
नरेगा योजना के तहत अस्थायी गौआश्रय स्थलों का निर्माण, समतलीकरण और प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
पशु कल्याण से लेकर सूचना प्रबंधन तक का समावेश
प्रशासन द्वारा तैयार कार्ययोजना में निम्नलिखित प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया है जिसमे आवारा पशुओं को गौशालाओं, काजी हाउस, गौ-अभ्यारण्य और अस्थायी आश्रयों में विस्थापित किया जाएगा। पूर्व में संचालित गौ-आश्रय स्थलों की स्थायी समितियों को पुनर्जीवित कर संचालन में सहयोग लिया जाएगा। धार्मिक-सामाजिक संगठनों, कॉरपोरेट्स और एनजीओ के सहयोग से दीर्घकालिक पुनर्वास योजना को क्रियान्वित किया जाएगा।
आवश्यक संसाधन एवं सेवाएं
काउ-कैचर वाहनों की व्यवस्था सभी नगर पालिकाओं, पंचायतों और निकायों के पास सुनिश्चित की जाएगी।
चारा प्रबंधन और पशु स्वास्थ्य सेवाओं के लिए डॉक्टरों की नियुक्ति और अस्पतालों की मैपिंग की जाएगी।
घायल पशुओं की तत्काल चिकित्सा सुविधा और नियमित स्वास्थ्य परीक्षण की व्यवस्था होगी। पशुपालकों में जागरूकता एवं सामाजिक सहभागिता ग्राम पंचायत, जनचौपाल, स्कूलों और स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से खुले में पशु छोड़ने के दुष्परिणामों को बताया जाएगा।
स्टाल फीडिंग के लाभ जैसे बेहतर स्वास्थ्य, फसल सुरक्षा और दुग्ध उत्पादन में वृद्धि के बारे में जानकारी दी जाएगी। सोशल मीडिया, रेडियो और टीवी चैनलों के माध्यम से नियमित जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे।
आपातकालीन और सड़क सुरक्षा उपाय
चिन्हित मार्गों पर संकेतक बोर्ड और स्ट्रीट लाइट्स लगाई जाएंगी। स्वास्थ्य विभाग, पुलिस और राजस्व विभाग के समन्वय से दुर्घटना स्थलों पर आपातकालीन सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
सूचना प्रबंधन एवं विभागीय जिम्मेदारियाँ स्पष्ट
एक केंद्रीकृत सूचना केंद्र की स्थापना की जाएगी, जो सभी आवारा पशु घटनाओं, दुर्घटनाओं, और संबंधित सूचनाओं को एकत्रित कर संबंधित विभागों को तत्काल उपलब्ध कराएगा। इस केंद्र में टोल फ्री नंबर, जियो टैगिंग, और पोर्टल आधारित डैशबोर्ड की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
विभागीय जिम्मेदारियों का विभाजन
लोक निर्माण विभाग सड़क सुरक्षा तत्वों को निर्माण में शामिल करना, ठेकेदार की जवाबदेही तय करना। निगरानी दल का गठन, अस्थायी बाड़ों का निर्माण, काउ-कैचर वाहन और चारा व्यवस्था। ईयर टैगिंग, पशु चिकित्सा, नस्ल सुधार और गौशाला प्रबंधन। चारागाह प्रबंधन और पशु आहार व्यवस्था। घायल व्यक्तियों के लिए त्वरित चिकित्सा सहायता। चारागाह की उपलब्धता और अवैध कब्जों से मुक्ति। डेटा संकलन और सूचना समन्वय। वन क्षेत्रों में आवारा पशुओं की निगरानी और चरागाह प्रबंधन।
प्रशासन का सख्त संदेश: समस्या का स्थायी समाधान अनिवार्य
बैठक के अंत में वरिष्ठ अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि आवारा पशुओं की समस्या अब प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में शामिल है। सड़कों की सुरक्षा, नागरिकों का जीवन, और यातायात व्यवस्था की सुचारूता सुनिश्चित करना अब समय की मांग है। इस दिशा में सभी विभाग समन्वय से कार्य करें, यह सुनिश्चित किया गया है। साथ ही सामाजिक सहयोग को भी उतना ही आवश्यक माना गया है। यह कार्ययोजना न केवल सड़क दुर्घटनाओं को कम करने में सहायक होगी, बल्कि पशु कल्याण, शहरी व्यवस्था, और स्वच्छता में भी दीर्घकालिक सुधार लाएगी। बेमेतरा जिले की सड़कों को दुर्घटनारहित, सुगम और सुरक्षित बनाने के लिए प्रशासनिक अमला अब पूरी तरह सक्रिय हो गया है