समिति की निष्पक्षता और स्वायतत्ता पर उठ रहे है सवाल
पवन कुमार नाग की रिपोर्ट :
आदिम जाति सेवा सहकारी समिति कचनार में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसने न सिर्फ किसानों की आजीविका को प्रभावित किया है, बल्कि शासन-प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी गंभीर प्रश्नचिह्न खड़े कर दिए हैं|
बीते कई वर्षों से समिति की प्रबंधक श्रीमती ललिता राव के पति खुलेआम खाद-बीज वितरण, वाउचर बनाने और यहां तक कि धान खरीदी जैसे महत्वपूर्ण कार्यों में हस्तक्षेप कर रहे हैं –जबकि वे न तो किसी अधिकृत पद पर हैं और न ही समिति में नियुक्त। फिर भी रोज़ाना कार्यालय में मौजूद रहकर सभी फैसलों को अपनी मनमानी से संचालित कर रहे हैं।

जगदलपुर से महज कुछ किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस समिति में चल रही इस अवैध दखलंदाज़ी की खबर न शासन-प्रशासन तक पहुँची और न ही स्थानीय जनप्रतिनिधियों तक – या फिर यह अनदेखी किसी मिलीभगत का नतीजा है? यह सवाल अब ग्रामीण और किसान खुलकर पूछ रहे हैं।

ग्रामीणों के आरोप और अनियमितताएँ:
प्रबंधक ललिता राव के पति खाद वितरण, वाउचर तैयार करने और धान खरीदी जैसे कार्यों में सीधे हस्तक्षेप करते हैं।इस कारण समय पर किसानों को न तो खाद और बीज उपलब्ध हो पाता है, न सही जानकारी मिल पाती है, जिससे हर साल भारी नुकसान होता है।समिति में पहले से पदस्थ ऑपरेटर के रहते हुए, प्रबंधक द्वारा मोहित कश्यप नामक व्यक्ति को अलग से ऑपरेटर का कार्य दिया गया, जिसकी न तो ब्रांच मैनेजर को जानकारी है और न ही समिति अध्यक्ष को।इससे समिति की पारदर्शिता और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
जनता के सवाल:
जब समिति में सभी पदों पर नियमित कर्मचारी कार्यरत हैं, तो फिर ललिता राव के पति किस अधिकार से हस्तक्षेप कर रहे हैं?
क्या प्रबंधक की मौन सहमति के बिना यह सब संभव है?
क्या यह साफ़-साफ़ प्रशासनिक लापरवाही और पद के दुरुपयोग का मामला नहीं है?
क्या कुछ जनप्रतिनिधि भी इस पूरी व्यवस्था को संरक्षण दे रहे हैं?
ग्रामीणों की माँग:
🔹 ललिता राव के पति के खिलाफ सख़्त कार्रवाई हो।
🔹 पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए।
🔹 समिति में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों की नियुक्ति हो।
कचनार के जागरूक नागरिकों और किसानों का कहना है कि यदि जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो वे धरना-प्रदर्शन, आंदोलन और कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए विवश होंगे।