छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सरकार की सख्ती और ऑपरेशन के दबाव में पस्त हुए नक्सली

छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में लम्बे समय से सक्रिय माओवादी संगठन को उस समय बड़ा झटका लगा, जब संगठन के दो शीर्ष माओवादी नेताओं ने तेलंगाना के राचकोंडा पुलिस कमिश्नर कार्यालय में आत्मसमर्पण कर दिया। सरेंडर करने वालों में संजीव रूफ उर्फ अशोक और उसकी पत्नी दीना उर्फ पार्वती शामिल हैं। दोनों माओवादी नेताओं के खिलाफ छत्तीसगढ़ और तेलंगाना राज्यों में गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं, और उन पर लाखों रुपये का इनाम घोषित था।

◾ कौन हैं ये दोनों माओवादी नेता?

संजीव रूफ उर्फ अशोक: माओवादी संगठन की दंडकारण्य स्पेशल ज़ोनल कमेटी (DKSZC) और स्टेट कमेटी मेंबर (SCM) के पद पर था। वह रणनीतिक संचालन और बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड माना जाता है।

दीना उर्फ पार्वती: अशोक की पत्नी और स्वयं भी SCM व DKSZCM के पद पर कार्यरत थी। वह महिला कैडर को प्रशिक्षित करने और संगठन की आंतरिक खुफिया जानकारी जुटाने में प्रमुख भूमिका निभाती थी।

दोनों ने करीब 40 वर्षों तक बस्तर क्षेत्र के जंगलों में नक्सली संगठन की गतिविधियों का नेतृत्व किया, जिनमें दर्जनों माओवादी हमले, पुलिस मुठभेड़, ग्रामीण अपहरण, वसूली, और जन अदालत जैसी घटनाएं शामिल हैं।

◾ ऑपरेशन प्रेशर में टूटी कमर

हाल के वर्षों में छत्तीसगढ़ और तेलंगाना सीमा क्षेत्र में सुरक्षा बलों की लगातार दबावयुक्त कार्रवाई, आधुनिक तकनीक का उपयोग और माओवाद प्रभावित इलाकों में बढ़ती सड़कों और विकास कार्यों ने माओवादियों को कमजोर कर दिया है। नक्सल ऑपरेशन की सफलता और सरकार की पुनर्वास नीति का ही असर है कि अब शीर्ष नेतृत्व भी हथियार डालने को मजबूर हो गया है।

◾ आत्मसमर्पण से संगठन को लगा करारा झटका

इन दोनों शीर्ष माओवादियों के आत्मसमर्पण को सुरक्षा एजेंसियों ने नक्सली संगठन के लिए बड़ा मनोवैज्ञानिक और रणनीतिक झटका बताया है। बस्तर और दंडकारण्य क्षेत्र में इनका व्यापक नेटवर्क था, जिसके जरिए कई नक्सली हमलों की योजना बनाई जाती थी।

◾ सरकार की नीति ला रही रंग

तेलंगाना और छत्तीसगढ़ सरकार ने समर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए विशेष पुनर्वास नीति लागू कर रखी है, जिसके तहत उन्हें सुरक्षा, रोजगार, आर्थिक सहायता और सामाजिक पुनर्स्थापन जैसी सुविधाएं दी जाती हैं।
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, “सरेंडर करने वाले माओवादियों को सुरक्षित माहौल और नई जिंदगी देने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं।”

◾ बस्तर में अब नक्सलियों का हो रहा लगातार आत्मसमर्पण

इससे पहले भी बस्तर क्षेत्र में कई मध्य और निचले स्तर के नक्सली कैडर सरेंडर कर चुके हैं। परंतु यह पहली बार है कि इतने वरिष्ठ पदों पर रहे माओवादी नेताओं ने खुलकर आत्मसमर्पण किया है।

◾ आगे क्या?

इस आत्मसमर्पण से जहां एक ओर संगठन के अंदरूनी ढांचे में दरार पड़ी है, वहीं सुरक्षा एजेंसियां उम्मीद कर रही हैं कि आने वाले दिनों में और भी माओवादी नेता सरेंडर करेंगे।
इसके साथ ही बस्तर क्षेत्र को माओवाद मुक्त करने की रणनीति को अब और गति मिलने की संभावना जताई जा रही है।

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