दैनिक मूक पत्रिका सूरजपुर/भटगांव:– स्थित एसईसीएल उपक्षेत्रीय कार्यालय के ठीक पीछे इन दिनों एक चौंकाने वाली सच्चाई धीरे-धीरे ज़मीन के नीचे से नहीं, बल्कि ज़मीन के ऊपर उभर रही है। करोड़ों की कीमत वाली अधिग्रहित भूमि पर धड़ल्ले से हो रहे अतिक्रमण ने यह साबित कर दिया है कि या तो प्रशासन सो रहा है, या फिर मिलीभगत से आंखें मूंदे बैठा है।
जिस ज़मीन को एसईसीएल ने वर्षों पहले भूमिगत खनन परियोजना के लिए अधिग्रहित किया था, जहां विस्थापितों को मुआवज़ा, नौकरी और पुनर्वास की योजना के तहत बसाया गया था वही ज़मीन आज कब्जाधारियों की गिरफ्त में धीरे-धीरे खिसक रही है। सबसे गंभीर बात यह है कि यह सब कुछ एसईसीएल के उपक्षेत्रीय प्रबंधक कार्यालय की छाया में, उसकी नाक के नीचे हो रहा है।
15 साल पुराना अधिग्रहण, आज कब्जा योजना’ में बदल गया?

दुग्गा क्षेत्र की जिन ज़मीनों का अधिग्रहण 15 वर्ष पूर्व कोल परियोजना के नाम पर किया गया था, उन्हें अब अस्थायी बाड़, हरी नेट और साफ़ साफ़ कटी झाड़ियों के बीच से कब्जाया जा रहा है। कहीं बांस की खूंटी लगी है, तो कहीं कंटीले तार। दृश्य साफ़ है ज़मीन हथियाने का खेल सुनियोजित और सत्ताभोगियों की शह पर जारी है।
क्या अतिक्रमणकारियों को मिली है प्रशासनिक छूट?
इस पूरे मामले में एसईसीएल प्रबंधन की चुप्पी अपने आप में सबसे बड़ा सवाल बनकर खड़ा है। क्या कंपनी को इसकी जानकारी नहीं? या फिर जानबूझकर अनदेखी की जा रही है? कोई भी ज़िम्मेदार अधिकारी अब तक मौके पर पहुंच कर स्थिति की गंभीरता को समझने नहीं गया है।
यह सवाल आम जनता के बीच चर्चा का विषय बन चुका है कि क्या करोड़ों की सरकारी ज़मीन अब खुली लूट का मैदान बन चुकी है?
कुंभकर्णी’ नींद में एसईसीएल, खुलेआम कब्जा कर रहे भूमाफिया
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों का कहना है कि अगर जल्द कार्रवाई नहीं हुई, तो यह अतिक्रमण ‘नियमित कब्जा’ बन जाएगा और फिर उसे हटाना प्रशासन के बस से बाहर होगा। अधिकारियों की खामोशी को लेकर यह भी आरोप लग रहा है कि इस अतिक्रमण के पीछे ‘ऊपर से लेकर नीचे तक’ का संरक्षण मौजूद है।
मौन रहना अब अपराध के बराबर
इस पूरे मामले ने एसईसीएल की कार्यप्रणाली, ज़मीन अधिग्रहण नीति और भूमि सुरक्षा की असफलता को उजागर कर दिया है। जिस ज़मीन पर कोयला निकलना था, वह आज राजनीति, प्रशासन और निजी स्वार्थों के बीच खोखली होती जा रही है।
अब ज़रूरत है, प्रशासनिक स्तर पर तुरंत कार्रवाई की अतिक्रमण हटाने का अभियान दोषी अधिकारियों की जांच
सार्वजनिक रिपोर्टिंग और जवाबदेही की प्रक्रिया
आख़िर सवाल यही है, करोड़ों की सरकारी ज़मीन पर चल रहे इस कब्जा खेल के असली खिलाड़ी कौन हैं? और SECL कब जागेगा?