दैनिक मूक पत्रिका सूरजपुर/भैयाथान – जिले के भैयाथान जनपद अंतर्गत ग्राम पासल सहित आसपास के कई गांवों के किसानों को हाल ही में भारी बारिश और जलभराव के चलते बड़ी क्षति का सामना करना पड़ा है। स्थानीय ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का आरोप है कि यह नुकसान प्राकृतिक नहीं, बल्कि क्षेत्र में संचालित निजी हाइड्रो पावर प्लांट की लापरवाही का नतीजा है।

कंपनी की लापरवाही बनी किसानों की बर्बादी का कारण

गौरतलब है कि रहर नदी पर एक निजी कंपनी द्वारा हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण कर विद्युत उत्पादन किया जा रहा है। परियोजना शुरू होने से पहले कंपनी ने पासल, भैयाथान, हरिपारा, झिलमिली और सत्यनगर के ग्रामीणों को इस बात की जानकारी दी थी कि नदी के जलग्रहण क्षेत्र में फसलें डुबान की चपेट में आ सकती हैं। इसके बावजूद कंपनी द्वारा खेतों से पानी निकालने के लिए जो नहर (नाला) बनाया गया है, उसकी जल निकासी क्षमता न के बराबर है।

बीते 24 जुलाई से 26 जुलाई तक लगातार हुई मूसलधार बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए। जल निकासी का नाला ओवरफ्लो हो गया और खेतों में पानी भर गया। फलस्वरूप पासल गांव के 30 से 40 से अधिक किसानों की खड़ी फसलें जलमग्न होकर पूरी तरह से नष्ट हो गईं। इसी प्रकार झिलमिली और सत्यनगर के किसान भी इस आपदा से अछूते नहीं रहे।

फसलें डूबीं, किसानों की कमर टूटी

ग्रामीणों ने बताया कि अधिकांश किसान शासन की योजनाओं के अंतर्गत ऋण लेकर खाद, बीज एवं अन्य कृषि सामग्री खरीदते हैं। ऐसे में फसल का डूब जाना केवल अन्न का नुकसान नहीं, बल्कि परिवार की रोजी-रोटी, बच्चों की पढ़ाई और भविष्य की योजनाओं पर भी ग्रहण है। प्रभावित किसानों का कहना है कि यदि समय रहते समुचित जल निकासी की व्यवस्था होती, तो इतनी बड़ी क्षति से बचा जा सकता था।

जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में सौंपा गया ज्ञापन

इस गंभीर मुद्दे को लेकर आज ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी सूरजपुर को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में राजीव प्रताप सिंह (उपाध्यक्ष, जनपद पंचायत भैयाथान), अभय प्रताप सिंह (पूर्व जनपद सदस्य), दुलारी देवी (सभापति, जनपद पंचायत भैयाथान), कुशुम देवी (जनपद सदस्य), गनपत पाटिल (पूर्व सदस्य), जूगेश्वर पैकरा (उपसरपंच ग्राम पंचायत सत्यनगर) सहित अनेक ग्रामीण उपस्थित रहे।

ज्ञापन में मांग की गई है कि संबंधित क्षेत्रों में यथाशीघ्र राजस्व विभाग की टीम भेजकर खेतों और फसलों का निरीक्षण कराया जाए तथा प्रभावित किसानों को त्वरित मुआवजा प्रदान किया जाए, ताकि वे आर्थिक संकट से उबर सकें।

क्या कहता है प्रशासन?

अब देखना यह है कि प्रशासन इस ज्ञापन और किसानों की पीड़ा पर कितनी गंभीरता दिखाता है। क्या दोषी कंपनी पर कोई कार्रवाई होगी? क्या प्रभावित किसानों को उचित मुआवजा मिलेगा? यह आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन फिलहाल सैकड़ों किसानों की आंखों में सिर्फ मायूसी, चिंता और सरकारी राहत की आस दिखाई दे रही है।

By MOOK PATRIKA

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