दैनिक मूक पत्रिका नई दिल्ली। वंशलोचन, जिसे कई लोग तबाशीर भी कहते हैं, एक प्राकृतिक पदार्थ है जो बांस के तने के अंदर से निकलता है। यह सफेद रंग का होता है और आमतौर पर पाउडर या छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में मिलता है। इसे ‘बैंबू मैनना’ या ‘बैंबू सिलाइसेस’ के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम ‘बैम्बुसा अरुंडिनेशिया’ है। यह आमतौर पर भारत, फिलीपींस, चीन आदि एशियाई देशों में व्यापक रूप से उगाया जाता है। मुख्य रूप से इसका उपयोग औषधीय गुणों के लिए किया जाता है। इसमें सिलिका की मात्रा बहुत अधिक होती है, जो इसे कई स्वास्थ्य लाभों के लिए उपयोगी बनाती है। आइए जानते हैं तबाशीर के फायदों के बारे में-
आयुर्वेद में तबाशीर अमृत समान
चरक संहिता और भैषज्य रत्नावली जैसे ग्रंथों में वंशलोचन को अनेक योगों में स्थान दिया गया है, जैसे सितोपलादि चूर्ण, तालिसादि चूर्ण, वंशलोचनादि चूर्ण इत्यादि। भैषज्य रत्नावली में वंशलोचन को वात और कफ शामक, पित्त वर्धक और बल्य (शक्तिवर्धक) माना गया है।
हाथ-पैर में जलन: तबाशीर की तासीर ठंडी होती है, इसलिए जिन लोगों के हाथ-पैर में जलन और हाथ में पसीना आता है, उनके लिए वंशलोचन काफी फायदेमंद है। यह पित्त को शांत करता है और शरीर के बाकी दोष जैसे कि वात, पित्त और कफ में संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
त्वचा और हड्डी रोग: चरक संहिता में इसे तबाशीर या तुगक्षीरी भी कहा गया है। इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार में किया जाता है, जैसे कि खांसी, जुकाम, बुखार, पाचन संबंधी समस्याएं, हड्डियों की कमजोरी, और त्वचा रोग। सिलिका की अधिक मात्रा होने के कारण यह बालों को मजबूत बनाने में मदद करता है।
मुंह के छाले: अगर किसी को मुंह में छाले हैं, तो वह वंशलोचन को शहद में मिलाकर इस्तेमाल कर सकता है। दरअसल, मुंह में छाले अक्सर पेट की गर्मी बढ़ने के कारण होते हैं। वंशलोचन की तासीर ठंडी होती है, जो पेट की गर्मी को शांत करने में मदद करती है। वहीं, शहद में मौजूद एंटीबैक्टीरियल गुण मुंह के संक्रमण (इंफेक्शन) को कम करके छालों को जल्दी ठीक करते हैं। लेकिन इसके सेवन से पहले किसी भी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है।
