दैनिक मूक पत्रिका नारायणपुर। जिले के नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ के इन्द्रावती नदी के पार बसे लगभग 15 ग्राम पंचायतों में 5 हजार से अघिक की आबादी निवास करती है। इन ग्रामाें में ताकिलोड़, बोड़गा, दामपद, दाढ़ोकोट, बैल,उतला, रेकावाया, कुम्मम,डूंगा, पल्लेवाया, पीड़िया, पीड़ियाकोट, परलकोट, परलनार, इकुल, आलदण्ड, आदेर से ग्रामीण रोजमर्रा का सामान खरीदने भैरमगढ़ बाजार आना पड़ता है। अबूझमाड़ के ग्रामीणाें काे इन्द्रावती नदी पार करने के लिए अपनी जान जाेखिम में लगाकर नदी के इस पार से उस पार 20-20 रुपये किराया देकर डोंगी(लकड़ी की छोटी सी नाव) से आना-जाना करते हैं। बहुत बार ऐसा हुआ है, जब यह लकड़ी की डोंगी बीच मझधार में पलट जाती है, तो ग्रामीणों को अपनी जान भी गवानी पड़ी है।
ग्राम पोतला के ग्रामीण भगत और बैल गांव निवासी बन्ना राम सेबात ने बताया कि जब से उसपरी बाज़ार बन्द हुआ है, ग्रामीणों को भैरमगढ़ समान खरीदने जाना पड़ रहा है। उसपरी में बाज़ार को शुरू करवाने के लिए हम लोग क्षेत्रीय विधायक से लेकर प्रशासनिक अधिकारियों तक गुहार लगा चुके हैं। लेकिन कोई हमारी सुध नहीं ले रहा है, छह माह पहले उसपरी बाजार शुरू करने के लिए एक रैली भी निकाली और ज्ञापन भी सौंपा इन सबके बावजूद ना तो कोई नेता सामने आया और ना ही किसी अधिकारी ने संवेदना जताई। ग्रामीणाें का कहना है कि यहां अब नक्सली नहीं है, इसके बाद भी अधिकारी इस बाज़ार को शुरू नहीं करवाना चाहते, यदि यह बाज़ार शुरू होता है, तो पूरे अबूझमाड़ में उत्सव सा माहौल होगा।
गाैरतलब है कि अबूझमाड़ में पहले सुरक्षाबलों का पहुंचना बेहद कठिन होता था, लेकिन अब इसी अबूझमाड़ को बूझकर जवानो ने नक्सलियों के शीर्ष कैडर के महासचिव बसवाराजू काे ढेर कर दिया। इसके साथ ही थुलथुली, रेकावाया, तक जवानो ने दस्तक देकर नक्सलियों की रणनीति विफल कर दिया है। वहीं सरकार ने नक्सलवाद के खात्मे को लेकर एक डेडलाइन मार्च 2026 तक खींच रखी है। यदि वाकई में नक्सलवाद जड़ से खत्म होता है, तो अबूझमाड़ को सरकारी तंत्र विकास से बूझ सकता है, और ग्रामीणों की मुश्किलें खत्म होकर इन्द्रावती नदी में आसान सफर की उम्मीद ग्रामीण कर सकते हैं।
