दैनिक मूक पत्रिका कोंडागांव – जिले के बड़ेराजपुर विकासखंड अंतर्गत आने वाले पठारिय ग्राम खल्लारी मांझीनगढ में वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार प्रतिवर्ष की तरह इस वर्ष भी शनिवार को लिंगों मुदिया एवं सोनकुवंर बाबा की अगुवाई में गढमावली याया के दरबार में भादोम जातरा होने वाला है।शनिवार को सुबह से आस पास के गांव से बड़ी संख्या में देवी देवताओं के साथ सम्मिलित होंगे
मांझीनगढ पहाड़ी में खल्लारी और उस क्षेत्र के प्रसिद्ध देवी गढमावली याया विराजमान है।
प्रतिवर्ष भादोम मास के दिन शनिवार को ही यहां जातरा होता है। शनिवार को सुबह जातरा के लिए मांझीनगढ पहाड़ी ओर निकल जाते हैं । इस जातरा में मांझीनगढ पहाड़ी के चारों दिशाओं में निवासरत सभी गांव के लोग अपने-अपने पेन शक्तियों (देवी – देवता) पुरखो को लेकर इस जातरा में सम्मिलित होते हैं। यहां सभी प्रमुख देवी देवताओं की उपस्थिति होने के बाद देवी देवताओं का परीक्षण होता है। परीक्षण में जो देवी देवता दोषी पाए जाते हैं उन देवी देवताओं को सजा भी दिया जाता है। मानव जीवन में जिस तरह न्याय के लिए अदालत लगती है जहां पर लोगों को सजा सुनाया जाता है ठीक उसी प्रकार वर्ष में एक बार यहां भी देवी देवताओं का अदालत में मुकदमा चलता है और जो देवी देवता दोषी पाया जाता है उनको गढमावली याया साल भर में सुधारने का आश्वासन देता है अत्यधिक गलती किए रहते हैं ऐसे देवी देवताओं को सजा भी सुनाता है। परीक्षण के बाद जो देवी देवता परिवार का और गांव का नहीं होता है ऐसे देवी को खाई के नीचे रवागनी (परित्याग – विसर्जित) किया जाता है। उसके बाद यहां सभी देवी – देवताओं की विशेष सेवा – अर्जी विनती होती है, जिसमें फल – फूल के साथ जीव सेवा भी दिया जाता है। सेवा- अर्जी विनती के बाद पहाड़ी में ही रात्रि विश्राम कर सुबह सूर्य उदय से पहले मांझीनगढ़ से अपने अपने गांव की ओर प्रस्थान होते है । ऐसा परंपरा पूरी दुनिया में केवल बस्तर में ही देखने को मिलता है बस्तर की परंपरा और बस्तर की संस्कृति आज पूरे देश दुनिया के लोग देखने आते हैं।
बस्तर की हर पंडुम (त्यौहार) बस्तर के मूल निवासी लोग अपने पुरखों देवी देवताओं के साथ मिलजुल कर मानते हैं, कुछ भी काम करने से पहले गांव के प्रसिद्ध मुख्य देवी को पूछते हैं उसके बाद ही गांव में कुछ भी कार्य को करते हैं। जिस प्रकार परिवार में किसी कार्य को करने के के लिए परिवार का मुखिया को पूछ करके काम किया जाता है ठीक उसी प्रकार गांव में कुछ काम करने के लिए गांव के मुख्य देवी का पुकार करते हैं उन्हें पूछ जांच करते हैं उसके उपरांत ही गांव में कुछ कार्य को करतें हैं। इस जातरा के आने के बाद गांव में देवी देवताओं को बालिंग पंडुम (पोला त्यौहार) पर नया फसल को चढ़ाया जाता है। उसके बाद ही बस्तर की कुछ क्षेत्र के लोग नया खाई के त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं। यह परंपरा आज का नहीं है इस परंपरा को बस्तर के मूल निवासी पिढी दर पीढ़ी मनाते आ रहे हैं और संजो कर रखे हैं। और ऐसी परंपरा त्योहारों को गांव में निवासरत सभी समुदाय के लोग मनाते हैं क्योंकि गांव की परंपरा एक किसी एक व्यक्ति या किसी एक समुदाय से नहीं चलता गांव में निवासरत सभी भाई, सभी समुदाय मिलजुल कर ऐसी परंपराओं और त्योहार को मानते आ रहे हैं।
पारंपरिक रूढ़िगत भादोम जातरा में सम्मिलित होने से पहले वहां के निम्न रूढ़िगत सावधानी बरतनी होती है।

By MOOK PATRIKA

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